अमेरिका में दिमाग खाने वाले अमीबा से 6 साल के बच्चे की मौत; जानिए क्या होता है ये प्राणी?

बचपन में बायोलॉजी की क्लास में अमीबा और पैरामिसियम ही दो ऐसे प्राणी थे, जिनके चित्र बनाना बहुत आसान होता था। चप्पल रखकर उसके चारो ओर पेंसिल घुमाओ तो बन जाए पैरामिसियम और अदरक रखकर उसके चारो तरफ पेंसिल घुमा तो बन जाए अमीबा। हम आज यहां बात करने वाले हैं अमीबा की। छुटपन में पढ़ा था कि भगवान को छोड़कर अगर दुनिया में कोई अमर है तो वह अमीबा है। बीच में से काटो तो दो हो जाते हैं। आग से जलता नहीं, आंधी-तूफान का कोई असर नहीं और पानी में तो रहता ही है। पहले तो लगा कि अगर अमीबा सामने आ जाए तो भाई साहब फिर हम क्या करेंगे? लेकिन, तभी मास्टर साहब बताए कि अरे… इत्तु सा होता है अमीबा। इत्तु सा मतलब कित्तु सा। अरे… आंख से दिखाई भी नहीं देता। दूरबीन से देखना पड़ता है। तब माइक्रोस्कोप को हम दूरबीन ही कहते थे।
जब आगे जाकर और पढ़े तो पता चला कि 1755 में सबसे पहली बार अगस्त जोहान रोसेल वॉन रोजेनहोफ ने इसे खोजा था। उन्होंने इसका नाम रखा “डेर क्ले प्रोटियस’ मतलब “द लिटिल प्रोटियस’। दरअसल, ग्रीक पुराणों में समुद्र और नदियों के देवता को प्रोटियस कहा जाता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि अमीबा एक कोशिकीय प्राणी है। दरअसल, दुनिया में दो तरह के प्राणी हैं एक कोशिकीय और बहु कोशिकीय। इंसान बहु कोशिकीय है, मतलब ऐसे समझो की हमारा-तुम्हारा और इस गोले में रहने वाले हर इंसान का शरीर 60-90 ट्रिलियन कोशिकाओं से बना है। अब एक ट्रिलियन भी समझो- एक मिलियन 10 लाख होता है और 1000 मिलियन के बराबर हुआ बिलियन ऐसे ही 1000 बिलियन के बराबर एक ट्रिलियन। मतलब 10 लाख के दाएं 6 जीरो लगा दो तो हुआ एक ट्रिलियन।
अब वापस लौटते हैं अमीबा पर। हां तो अमीबा में सिर्फ एक कोशिका होती है। एक कोशिकीय वालों को फायदा बहुत होता है। जैसे कि जो बहुकोशिकीय होते हैं उनमें बहुत सारी कोशिकाएं बनती रहती हैं और बहुत सारी मरती रहती हैं। मतलब इंसान में हर सेकंड लाखों कोशिकाएं बन रही हैं और लाखों मर रही हैं। एक कोशिका वाले को यह झंझट नहीं रहती है। कोशिका की बात करें तो विज्ञान की एक और बात जान लीजिए कि दुनिया में सबसे बड़ी कोशिका शुतुरमुर्ग का अंडा है और सबसे छोटी कोशिका माइकोप्लाज्मा नामक एक जीव है।
(आप सोच रहे होंगे कि हम आज अमीबा पर इतना ज्ञान क्यों दे रहे हैं? दरअसल, अमेरिका से एक डराने वाली खबर आई है। यहां घर में सप्लाई होने वाले पानी में दिमाग खाने वाले अमीबे का पता चला है। इससे एक बच्चे की मौत भी हो गई है।)
समय बीतने के साथ अमीबा की कई प्रजातियां मिलती गईं। इसमें एक प्रजाति है Naegleria fowleri (हिंदी में नाम लिखना हमें कठिन लगा तो इंग्लिश में ही लिख दिया।) मतलब यह अमीबा अगर नाक के जरिए शरीर में घुस जाए तो जान ही ले ले। नाक के जरिए जिन लोगों में यह अमीबा घुस जाता हैं उसमें 95 फीसद तक की मौत हो जाती है। यह गर्म और ताजे पानी में रहता है। अमेरिका में आजकल इसका ही कहर है। पहले प्लोरिडा में दिमाग खाने वाले अमीबा से एक आदमी की मौत हो गई थी अब टेक्सास में 6 साल के बच्चे की मौत हो गई। दोनों में यह अमीबा नाक के जरिए घुसा था। फ्लोरिडा के हेल्थ डिपार्टमेंट ने कहा है कि यह कोई कोरोना की तरह संक्रामक बीमारी नहीं है। मतलब एक आदमी से दूसरे में नहीं फैलता, लेकिन यह बात भी बहुत पुख्ता नहीं है। यह अमीबा ज्यादातर खुली जगहों झील, नदी, तालाब और नहरों में पाया जाता है। अगर ये दिमाग में घुस गया है तो बुखार, पल्टी, सिर दर्द और गर्दन में अकड़न लगती है। हफ्ते भर के अंदर ही आदमी दम तोड़ देता है। यहां के हेल्थ डिपार्टमेंट ने कहा है कि नलों का पानी नाक तक न पहुंचने दें और ऐसे कोई लक्षण मिलें तो तुरंत इलाज करवाएं। टेक्सास के आठ शहरों में इसको लेकर अलर्ट भी जारी किया गया है।