आप जिन चमकदार हीरों के दीवाने हैं, वे कहां से आते हैं और कैसे बनते हैं?… जरा ये भी देख लीजिए

मशहूर हॉलीवुड फिल्म “ब्लड डायमंड’ का एक बेहद मशहूर डॉयलाग है- “”कभी-कभी मुझे आश्चर्य होता है कि… हम जो एक दूसरे के साथ कर रहे हैं क्या उसके लिए ईश्वर हमें माफ कर देगा? तब मैं चारो ओर देखता हूं और महसूस करता हूं… ईश्वर ने इस जगह को तो बहुत पहले छोड़ दिया था।”
फिल्म में डैनी आर्चर के िकरदार में लियोनार्डो डिकैप्रियो जिस जगह की बात कर रहे हैं वह है पश्चिम अफ्रीका का देश सिएरा लियोन। हीरों की खदान के लिए मशहूर सिएरा लियोन। सिएरा लियोन 1991 से 2002 तक गृहयुद्ध का शिकार रहा। यहां विद्रोही गुट बने और लोगों को बंधक बनाकर हीरे की खदानों में मजदूरी कराई गई। इन्हीं हीरों के रुपयों से हथियार और गोला-बारूद खरीदी जाती। लोग वोट न डाल पाएं इसलिए उनके हाथ काट दिए गए। यह सब था हीरों की खदानों पर अपना अधिकार जमाने के लिए। हीरों को लेकर इस देश में मची मारकाट को फिल्म “ब्लड डायमंड’ में बखूबी दिखाया गया है। इस फिल्म में एक जगह विद्रोही गुट का सरदार एक बंधुआ बच्चे से कहता है- “”तुम सोचते हो कि मैं एक शैतान हूं, लेकिन सिर्फ इस वजह से कि मैं नर्क में रहता हूं।” सवाल यह उठता है कि इतनी महंगे हीरों की खदानों की हालत नर्क सी क्यों है? बात सिर्फ अफ्रीकी देशों की खदानों की नहीं बल्कि दुनिया में जहां कहीं भी हीरे की खदानें हैं वहां हालात ऐसे ही हैं। कहीं ज्यादा खराब तो कहीं कम।
करीब सात साल पहले अवॉर्ड विनिंग ज्वेलर एनाबेला चान अपने हनीमून पर श्रीलंका की एक हीरे की खदान गई थीं। वहां पर उनका अनुभव दिल तोड़ देने वाला था। उन्होंने लिखा, “”यह मेरे लिए जिंदगी बदलने वाले अनुभव जैसा था। मैं खदान में काम करने वाले कर्मचारियों की हालत और उनके काम का जोखिम देखकर दुखी और आश्चर्यचकित थी। मुझे वहां कोई खुशी या रोमांस नहीं मिला।” इस अनुभव के बाद चान ने अपनी ज्वेलरी बनाने के लिए प्राकृतिक हीरे की जगह उसका अल्टरनेटिव ढूंढना शुरू किया। अब चान दुनिया की कुछ चुनिंदा डिजाइनरों में से एक हैं जो अपनी ज्वेरली लैब में बने हीरे से तैयार करती हैं।
(अब आप सोच रहे होंगे कि लैब में कैसे हीरे बनते होंगे? कितनी कीमत रहती होगी? और क्या बिल्कुल असली वाले जैसे दिखते होंगे?…. सब समझते के लिए आगे बढ़ते हैं)
आपको जानकर अचम्भा होगा कि लैब में हीरे को बनाना कोई नई बात नहीं है। 1940 से ही इस पर काम हो रहा है। बड़ी सफलता तब हाथ लगी जब 16 दिसंबर 1954 को जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) ने पहला सफल सिंथेटिक हीरा बनाया। यह खदान वाले हीरे जितना कठोर और सुचालक था। लेकिन, यह देखने में खदान वाले हीरे की तरह चमकदार और सुंदर नहीं था। 1970 के आसपास ऐसे हीरे बनाने की कोशिश होने लगी जो एकदम असली वाले की तरह दिखें। 1980 में लैब में ऐसे हीरे बनाए जाने लगे जो खदान के हीरों की तरह ही चमकदार और सुंदर थे। लैब में बनाए जाने वाले हीरों को फेक नहीं कहा जा सकता। क्योंकि, यह रासायनिक रूप से बिल्कुल असरी हीरों की तरह ही होते हैं। इनकी कीमत भी खदानों वाले हीरों से आधी होती है।
क्या है अंतर?
वैसे तो इन हीरों में कोई अंतर नहीं होता है, लेकिन अंतर निकालना ही चाहते हैं तो यह समझिए कि लैब में बनाए जाने वाले हीरों में को प्राकृतिक रूप से वह तापमान और दबाव नहीं मिलता, जिसमें असली वाले हीरे बनते हैं। लैब में हीरे बनाने की दो विधियां मौजूद हैं। इसमें पहली है केमिकल वेपर डेपोजिसन (सीवीडी) और दूसरी हाई प्रेशर हाई टेम्प्रेचर (एचपीएएटी)। इन दोनों विधियों में असली हीरे की पतली सी परत को बीज के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
पहली विधि में परत को एक चैम्बर में रखा जाता है, इस चैम्बर में कार्बन डाइऑक्साइड भरी होती है। जब इस चैम्बर को गर्म करते हैं तो कार्बन डाइऑक्साइड से कार्बन निकलकर उस परत पर चिपकने लगता है। इस बाद यह पतली परत एक चौकोर आकार में बदल जाती है। जो कि होता है हीरा। बाद से इसे कटिंग करके ज्वेलरी बनाई जाती है।
दूसरी विधि में इस परत को ग्रेफाइड कार्बन के बीच रख दिया जाता है। इसके बाद उसे 1500 डिग्री सेल्सियस तक तपाया जाता है। इसके बाद इसपर बहुत अधिक दबाव डाला जाता है। मतलब हर एक स्क्वॉयर इंच पर 68 लाख किलो का भार। हालांकि इस विधि से बनने वाला हीरा पूरी तरह से शुद्ध नहीं होता है। इस लिए डायमंड को सर्टिफाइड करने वाली एजेंसिया इसे टाइप-2 सर्टिफिकेट नहीं देती हैं।
क्या लैब में बने हीरों से सारी समस्याएं हल हो जाएंगी…. जवाब- नहीं
सीएनएन की खबर के मुताबिक 2019 में डायमंड प्रोड्यूसर एसोसिएशन (डीपीए) ने एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। इसमें बताया गया था कि जिन देशों में डायमंड बनाने वाली लैब्स ऊर्जा के लिए कोयले और प्राकृतिक गैसों पर निर्भर हैं, वहां कार्बन उत्सर्जन तीन गुना बढ़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक एक कैरेट के हीरे को पॉलिश करने में 160 किलो कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है और लैब में एक कैरेट हीरे को बनाने में 511 किलो कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है।

इतना सबकुछ जाना है तो दुनिया के पांच बड़े हीरे भी जान लीजिए…
अमर उजाला की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के पांच बड़े हीरों में चार अफ्रीकी देशों की खदानों में मिले हैं।
1. स्टार ऑफ सिएरा लियोन- यह हीरा दुनिया में एक नंबर पर है। इसका नाम सिएरा लियोन देख के नाम पर है। यह हीरा 969 कैरट का था, जिसे 17 टुकड़ों में तोड़ा गया था। इसका सबसे बड़ा टुकड़ा 54 कैरेट का है।
2. एक्सेलसियर डायमंड- यह हीरा दक्षिण अफ्रीका की एक खदान से मिला था। 995 कैरेट के इस हीरे को 20 टुकड़ों में तोड़ा गया था। इसका सबसे बड़ा टुकड़ा 70 कैरेट का है जिसे लगभग 16 करोड़ रुपये में बेचा गया।
3. लेसेदी ला रोना- 2015 में लेसेदी ला रेना नाम का हीरा कनाडा की एक खदान में मिला था। इसका आकार टेनिस बॉल के बराबर है। यह 300 करोड़ रुपये में बिका था।
4. कलिनन डायमंड- 1905 में यह हीरा दक्षिण अफ्रीका की खदान से निकला था। इसका नाम खान के मालिक ‘सर थॉमस कलिनन’ के नाम पर है। ब्रिटेन के राजा को तोहफे में देने के बाद इसे दो टुकड़ों में तोड़ा गया। जिनका नाम ‘ग्रेट स्टार ऑफ अफ्रीका’ और ‘लेसर स्टार ऑफ अफ्रीका’ रखा गया है।
5. लेसोथो हिल्स का हीरा- यह दक्षिण अफ्रीका का पांचवा सबसे बड़ा हीरा है। 910 कैरेट का यह हीरा यहां की लेसोथो पहाड़ियों पर मिला था।