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एलियंस के मैसेज पढ़ना मुश्किल नहीं

अब एक ऐसा कम्प्यूटर प्रोग्राम डिवेलप किया गया है, जिससे एलियंस तक के मैसेज की पहचान की जा सकती है। यह कारनामा कर दिखाया है ब्रिटेन के साइंटिस्ट जॉन इलियट ने। पहले साइंटिस्ट यह मानते थे कि अगर किसी दिन दुसरे ग्रह के निवासियों को पता चल भी गया तो उनकी भाषा समझ के बाहर होगी। लेकिन लीड्स मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट जॉन का मानना है कि इसमें उनका सॉफ्टवेयर बेहद कारगर साबित होगा। यह उनकी भाषा में छुपी जानकारियों को आसानी से समझ लेगा।

डेटाबेस में मौजूद दुनिया की 60 अलग-अलग भाषाओं में यह प्रोग्राम एलियंस की भाषा की तुलना करेगा। इस प्रक्रिया में मिलते- जुलते लैंग्वेज स्ट्रक्चर की पहचान हो जाएगी दरअसल जॉन का मानना है कि एलियंस धरती से चाहे जितनी दूरी पर रहते हों, उनको भाषा में पहचाने जाने लायक पैटर्न जरूर होंगे। इससे यह जानने में भी आसानी होगी कि दूसरे ग्रह पर मौजूद जीव हमसे कितने इंटेलिजेंट हैं। किसी लैंग्वेज में अगर खास स्ट्रक्चर न हो तो उसका प्रसार नहीं हो सकता। इसके पहले रिसचो में पाया गया था कि किसी सिग्नल में इमेज या म्यूजिक के अलावा लैंग्वेज हो, तो उसे अलग से पहचाना जा सकता है।

अब इलियट ने उससे भो एक कदम आगे बढ़कर अपना प्रोग्राम तैयार किया है। इससे सिग्नल में छुपी भाषा के वड्र्स और सेंटेंस की पहचान भी की जा सकेंगी। इलियट का कहना है कि इंसान की सभी भाषाओं में अंग्रेजो के इफ और बट जैसे फंकशनल टर्म होते है।। ऐसे किसी टर्म को 9 शब्दों या कैरेक्टर्स तक में बांटा जा सकता है। यह ऐसे किसी खास टर्म की लंबाई या उसमें मोजूद जानकारी पर निर्भर करता है। इस तरीके से किसी एलियंस लेग्वेज के विश्लेषण से यह भी पता चलसकता है कि उसे इस्तेमाल करने वाला हमसे कितना इंटेलिजेंट। अगर एलियंस हमसे ज्यादा स्मार्ट निकले तो उनकी भाषा में हमारे मुकाबले बर्ड्स और फ्रेज भी बहुत ज्यादा होंगे। इलियट का प्रोग्राम किसी भाषा के शब्दों को ग्रामर के मुताबिक अलग-अलग कैटिगरी में भी बांट सकता है। हालाँकि वह मानते हैं कि एलियंस क्या कह रहे है उसे एकदम ठीक-ठीक समझने के लिए कोड बुक की जरूरत पड़ेगी।

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