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World Parkinson’s Disease Day : पार्किंसंस रोग क्या है और क्या हैं इसके लक्षण और इलाज

पार्किंसंस (Parkinson’s) रोग एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जो शरीर की गतिशीलता को प्रभावित करती है। इस रोग में ब्रेन में डॉपामाइन नामक एक रसायन के स्तर में कमी होती है जो शरीर की गतिशीलता को नियंत्रित करता है। इसके अलावा, यह रोग न्यूरोनों की मृत्यु को भी बढ़ाता है जो शरीर को गतिशील बनाने में मदद करते हैं। इस रोग के लक्षणों में अधिकतर मुख्य लक्षणों में शरीर की गतिशीलता में कमी शामिल है, जिससे चलने, खड़े रहने या बैठने में कठिनाई होती है। इसके अलावा, इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को ट्रेमर, स्लो मूवमेंट, मस्तिष्क और शरीर के अन्य भागों में असंयमित चलने या भटकने की समस्या हो सकती है। इस बीमारी का इलाज निर्भर करता है कि रोग कितना बढ़ चुका है। प्रारंभिक अवस्थाओं में, दवाओं का उपयोग करके इस रोग का इलाज किया जा सकता है।

पार्किंसंस रोग के क्या लक्षण हैं ?

पार्किंसंस रोग के लक्षण निम्नलिखित होते हैं:-

  1. शरीर की गतिशीलता में कमी: यह एक मुख्य लक्षण है जो इस बीमारी के लक्षणों में से सबसे प्रमुख है। इस लक्षण के कारण, रोगी को चलने, खड़े रहने या बैठने में कठिनाई हो सकती है।
  2. ट्रेमर: यह दोष इस रोग का अन्य मुख्य लक्षण है, जो असंयमित हाथ के फड़फड़ाने या पैर की झपकी के रूप में आ सकता है।
  3. शरीर के अन्य भागों की गतिशीलता में कमी: इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को असंयमित चलने या भटकने की समस्या हो सकती है।
  4. स्लो मूवमेंट: इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को कुछ कार्यों को करने में अधिक समय लग सकता है, जैसे कि चलने, खड़े होने या बैठने में।
  5. खाते-पीते समय मुश्किल: पार्किंसंस रोग से पीड़ित व्यक्ति को खाने-पीने में भी कई समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि खाने को परखने में कठिनाई, गले में खराश या भोजन गला न जा रहा हो जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

पार्किंसंस रोग का उपचार कैसे करें ?

पार्किंसंस रोग का उपचार निम्नलिखित हो सकता है:

  1. दवाओं का उपयोग: विभिन्न दवाओं का उपयोग पार्किंसंस रोग के उपचार में किया जाता है, जो ब्रेन केमिस्ट्री को संतुलित करने में मदद करते हैं। इनमें शामिल हो सकते हैं एंटीपार्किंसंस दवाएं, जो दोपामीन के स्तर को बढ़ाने या कम करने में मदद करती हैं, और न्यूरोप्रोटेक्टिव दवाएं, जो न्यूरॉन को रक्षा करती हैं।
  2. थेरेपी: रोगी को फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी और भाषा थेरेपी जैसी थेरेपीज की सलाह दी जाती है जो उनकी गतिशीलता को बेहतर बनाने में मदद करती हैं।
  3. चिकित्सा की सलाह देना: एक डॉक्टर द्वारा सलाह दी जाने वाली चिकित्सा व्यवस्था के अनुसार रोगी को अपने उपचार के लिए व्यवहारिक टिप्स दिए जा सकते हैं। यह शामिल होता है उन्हें योग या ध्यान करने की सलाह देना, उन्हें संतुलित आहार लेने की सलाह देना और अन्य सुझाव देना जो उनके लक्षणों को कम कर सके।

पार्किंसंस रोग से कैसे बचें ?

पार्किंसंस रोग से बचाव के लिए निम्नलिखित सुझावों का पालन किया जा सकता है:

  1. एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: स्वस्थ खान-पान, नियमित व्यायाम और दिनचर्या में आवश्यक विश्राम लेना इस बीमारी से बचने में मदद कर सकता है।
  2. ब्रेन स्टिमुलेशन एक्सरसाइजेज करें: अधिक बुद्धिमत्ता और भावनात्मक संतुलन को बनाए रखने के लिए दिमाग के लिए संचार बढ़ाने वाले एक्सरसाइज करना फायदेमंद हो सकता है। उदाहरण के लिए, समय-समय पर अभ्यास करना, सुधार करना, शतरंज खेलना, सुदोकु खेलना आदि।
  3. स्वस्थ मनोरंजन का लाभ उठाएं: स्वस्थ मनोरंजन का लाभ उठाना भी इस बीमारी से बचने में मदद कर सकता है। मुख्य रूप से, योग, मेडिटेशन, संगीत या डांस का आनंद लें।
  4. ज्यादा से ज्यादा विश्राम लें: पर्याप्त नींद लेना और दिनभर के काम में बाकी लेना अत्यंत आवश्यक है।
  5. रिस्क फैक्टर कम करें: धूम्रपान और शराब से बचें

बुजुर्गों में पार्किंसंस रोग –

पार्किंसंस रोग बुजुर्गों में आमतौर पर देखा जाता है, यह एक उम्रदर बीमारी है जो बढ़ती उम्र के साथ विकसित होती है। पार्किंसंस रोग की उम्र के साथ बढ़ती शुरुआती लक्षणों में मुश्किलें होना शामिल होती हैं।

बुजुर्गों में पार्किंसंस रोग के लक्षणों में तंगी या कमजोरी, सुस्ती, गतिरोध, स्वयं बोलने में मुश्किल, चलने में अस्थिरता, हिलने वाले हाथों या पैरों का तरलता, शरीर का कोई भी भाग फ़ंगा या कमजोर दिखाई देना शामिल होता है। बुजुर्ग लोगों में पार्किंसंस रोग के लक्षण अक्सर दाहिने हाथ के बारे में शुरू होते हैं।

बुजुर्ग लोगों को पार्किंसंस रोग से बचने के लिए नियमित व्यायाम, स्वस्थ आहार, स्वस्थ मनोरंजन का आनंद लेना, दिनचर्या का पालन करना, स्वस्थ जीवनशैली का अनुसरण करना और डॉक्टर के सलाह के अनुसार रिस्क फैक्टर कम करना चाहिए।

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